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Friday 18 April 2014

MMM: VERY MOTIVATIONAL AND MORAL THOUGHT



MUST READ ONCE AND SHARE IT

जो चाहा कभी पाया नहीं, 
जो पाया कभी सोचा नहीं, 
जो सोचा कभी मिला नहीं, 
जो मिला रास आया नहीं, 
जो खोया वो याद आता है पर जो पाया संभाला जाता नहीं , 
क्यों अजीब सी पहेली है ज़िन्दगी जिसको कोई सुलझा पाता नहीं... 
जीवन में कभी समझौता करना पड़े तो कोई बड़ी बात नहीं है, 
क्योंकि, झुकता वही है जिसमें जान होती है, अकड़ तो मुरदे की पहचान होती है।
 ज़िन्दगी जीने के दो तरीके होते है! पहला: जो पसंद है उसे हासिल करना सीख लो.! 
दूसरा: जो हासिल है उसे पसंद करना सीख लो.! 
जिंदगी जीना आसान नहीं होता; बिना संघर्ष कोई महान नहीं होता.! 
जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है; कभी हंसती है तो कभी रुलाती है; 
पर जो हर हाल में खुश रहते हैं; जिंदगी उनके आगे सर झुकाती है। 
चेहरे की हंसी से हर गम चुराओ; बहुत कुछ बोलो पर कुछ ना छुपाओ; 
खुद ना रूठो कभी पर सबको मनाओ; राज़ है ये जिंदगी का बस जीते चले जाओ। 
"गुजरी हुई जिंदगी को कभी याद न कर, तकदीर मे जो लिखा है उसकी फर्याद न कर... 
जो होगा वो होकर रहेगा, तु कल की फिकर मे अपनी आज की हसी बर्बाद न कर... 
हंस मरते हुये भी गाता है और मोर नाचते हुये भी रोता है.... 
ये जिंदगी का फंडा है बॉस दुखो वाली रात निंद नही आती और खुशी वाली रात .कौन सोता है... 
ईश्वर का दिया कभी अल्प नहीं होता; जो टूट जाये वो संकल्प नहीं होता; हार को लक्ष्य से दूर ही रखना; 
क्योंकि जीत का कोई विकल्प नहीं होता। 
जिंदगी में दो चीज़ें हमेशा टूटने के लिए ही होती हैं : 
"सांस और साथ" सांस टूटने से तो इंसान 1 ही बार मरता है; 
पर किसी का साथ टूटने से इंसान पल-पल मरता है। 
जीवन का सबसे बड़ा अपराध - किसी की आँख में आंसू आपकी वजह से होना। 
और जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि - किसी की आँख में आंसू आपके लिए होना। 
जिंदगी जीना आसान नहीं होता; बिना संघर्ष कोई महान नहीं होता; जब तक न पड़े हथोड़े की चोट; 
पत्थर भी भगवान नहीं होता। जरुरत के मुताबिक जिंदगी जिओ - ख्वाहिशों के मुताबिक नहीं। 
क्योंकि जरुरत तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है; और ख्वाहिशें बादशाहों की भी अधूरी रह जाती है। 
मनुष्य सुबह से शाम तक काम करके उतना नहीं थकता; जितना क्रोध और चिंता से एक क्षण में थक जाता है। 
दुनिया में कोई भी चीज़ अपने आपके लिए नहीं बनी है। जैसे: दरिया - खुद अपना पानी नहीं पीता। 
पेड़ - खुद अपना फल नहीं खाते। सूरज - अपने लिए हररात नहीं देता। 
फूल - अपनी खुशबु अपने लिए नहीं बिखेरते। मालूम है क्यों? 
क्योंकि दूसरों के लिए ही जीना ही असली जिंदगी है। 
मांगो तो अपने रब से मांगो; जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत; लेकिन दुनिया से हरगिज़ मत माँगना; 
क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी। 
कभी भी 'कामयाबी' को दिमाग और 'नकामी' को दिल में जगह नहीं देनी चाहिए। 
क्योंकि, कामयाबी दिमाग में घमंड और नकामी दिल में मायूसी पैदा करती है।
 कौन देता है उम्र भर का सहारा। लोग तो जनाज़े में भी कंधे बदलते रहते हैं। 
कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। 
यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता? 
अच्छा लगा तो share जरुर करे १ मिनट लगेगा....

LONG LIVE MMM

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